Thursday, June 23, 2005

डूबते का सहारा

डूबते का सहारा

हम जानते है हमारी हालत खास्ता है
हमे इल्म है िक हमारा मुशिकल रास्ता है

पर कोई िगला नही है उन खुशनसीबों से
िजन्को सजी सजाई िज़न्दगी िमली

और कोई बैर नही उन िकस्मत वालोॅ से
िजनके बाग-ए-अर्मान की हर कली िखली

क्योिक हम जानते है दुिनया मे जलने वाले कम नही
यही िदलासा है िक कोई हम पे भी हसीद* है कही !

हसीद = jealous (just looked it up in english-urdu dictionary... quite handy that is!!
http://biphost.spray.se/tracker/dict/ )

2 Comments:

At 11:23 PM, Blogger palamoor-poragadu said...

भाइयों, क्या अब समझमे आया चन्दू ने यह ब्लाग बानाने मे बेहद दिलचस्पी क्यों दिखाई?

पेशे से जो शायर हो उनसे मुकाबला हम कैसे करें ...
आम लफ्ज होते तो करें
रवायती शायरी होती तो करें
आलफाज-ए-खंजर को भला हम क्या करें
पेशे से जो शायर हो उनसे मुकाबला हम कैसे करें ।

 
At 1:25 AM, Blogger Gandaragolaka said...

it should be खन्जर-ए-अल्फाज़ (the dagger of word(s))

 

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