दुिनयादारी
वैसे तो हम सच ही बोलते है
झूट बोलना वािजब लगता नही
पर िपछली अमावस की रात को जो हुअा
उसके बाद कुछ और ही लगा सही ।
लोग उनके घर की तरफ बारबार मुडते
और कहते िक अाज चॉंद बोहत रोशन है
अब सच बताने की जुर्रत कैसे करते ?
हमे हमारी जान की िफक्र जो पडी रही !
2 Comments:
I read the poem many times..and I find it a little sad.. a very numbing sadness.
well... it was supposed to be a simple poem on a woman's beauty...
now that you say that, I am beginning to dwell on it as well...
some people see way too much!
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