Sunday, July 17, 2005

खटमल

कमल आकर्श के इस ब्लाग मे एस.डी.बरमन का इक अनोखे गीत का ज़िक्र किया गया था। इसी मौके पे मै पेश करता हूं, उसी धुन मे किशोरदा का 'खटमल' पर गाया हुआ यह मज़ाकिया गीत, "छुपा रुस्तम" फिलम से...

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धीरे से जाना खटियन मे... ओ खटमल
धीरे से जाना खटियन मे...

सोई है राजकुमारी... सोई है
सोई है राजकुमारी... देख रही मीठे सपने

जा जा छुप जा...
जा जा छुप जा... तकियन मे... ओ खटमल
धीरे से जाना खटियन मे...

( वीरान थी अपनी ज़िंदगी, और सूना था अपना मकान। हाए, हाए किस्मत... )
मिले मुशकिल से ये मेहमान, हो ही जाते शायद मेहरबान
मिले मुशकिल से ये मेहमान, हो ही जाते शायद मेहरबान
आग लगाती है सुखन मे... ओ खटमल
धीरे से जाना खटियन मे...

|| धीरे से... ||

कोमल है इनका बदन, काँटे सी तेरी चुबन
कोमल कोमल है इनका बदन, काँटे सी तेरी चुबन
बाधा डाले निंदियन मे...
बाधा डाले निंदियन मे... ओ खटमल
धीरे से जाना खटियन मे...

( ए ए किधर जाता है, खबर... खबरदार, हममम... छुप छुप के ? )
क्यों छुप छुप के प्यार करे तू , बडा छुपा हुआ रुस्तम है तू
क्यों छुप छुप के प्यार करे तू , बडा छुपा हुआ रुस्तम है तू
ले ले हमको भि शरण मे... ओ खटमल
धीरे से जाना खटियन मे...
|| धीरे से... ||
धीरे से... धीरे से...
धीरे से जाना... धीरे से जाना... री भंवरा
धीरे से जाना बगियन मे
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2 Comments:

At 9:17 PM, Anonymous Anonymous said...

cool boss...its been ages since i have visited any blog...nice one..keep posting more lyrics..

aakarsh.

 
At 1:12 PM, Blogger Om said...

kishore imitates Burman Dada playfully........A lovely song though(original -song by SD but kishore took on him in one song)

 

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