Tuesday, August 16, 2005

कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया

आकर्ष ने कभी "हम दोनों" चलिचत्र का िज़क्र िकया था...और मुझे याद आया...

कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया --x2
बात िनकली तो हरेक बात पे रोना आया
कभी खुद पे...

हम तो समझे थे के हम भूल गये हैं उनको --x2
क्या हुआ आज ये िकस बात पे रोना आया
कभी खुद पे...

िकसिलए जीते हैं हम, िकस के िलए जीते हैं --x2
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया
कभी खुद पे...

कौन रोता है िकसी और की खाितर ऐ दोस्त --x2
सबको अपनी ही िकसी बात पे रोना आया
कभी खुद पे...