Wednesday, January 04, 2006

उडान

लम्हों के वीरान ज़मी पर
अश्कों की बारिश आ गई --
लो इस दिल में तुम्हें दोबारा
पाने की ख्वाहिश आ गई ।

सपने की भाँति आखों से
ओझल होकर चले गए
क्षितिज के उस पार तुम कोई
बादल बनकर चले गए

पर चाँद घटा में छुप जाए
तो अमावस नहीं कहलाएगा
प्यार का ये परिंदा तुमको
हर हाल में ढूँढ ही लाएगा ।

पहलू में फिर तेरी तबस्सुम
उठाने रंजिश आ गई --
और इस दिल में तुम्हे दोबारा
पाने की ख्वाहिश आ गई ।