Friday, March 31, 2006

एम. एस. जोशीजी का निधन


हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक और पत्रकार मनोहर श्याम जोशी का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया.
आगे पढिए

उनके साहित्य में योगदान

  • कसप
  • नेताजी कहिन
  • कुरु कुरु स्वाहा
  • हरिया हरकुलेस कि हैरानी
  • बातों-बातों में
  • मंदिर घाट की पौढियाँ
  • कैसे किस्सागो
  • एक दुर्लभ व्यक्तित्व
  • टा-टा प्रोफेसर
  • क्याप्

इनके अलावा वे, हम लोग, बुनियाद, काकाजी कही (ऒम पुरी कि वो विशिषठ हसीं कैसे भूलसकते हैं), मुंगेरी लाल के हसीन सपने (हम साब मे इक मुंगेरी लाल छुपा नाहि है?), हमराही, ज़मीन आसमान, गाथा इत्यादि अनोखी धारावाहिक कार्यक्रमों कि रचना की थी।

विकिपीडिया पे जोशिजी के बारे मे पढिए

[]...उनका कहना था कि टीवी तो फ़ैक्टरी हो गया है और लेखक से ऐसे परिवार की कहानी लिखवाई जाती है जिसमें हीरोइन सिंदूर लगाकर पैर भी छू लेती है और फिर स्विम सूट भी पहन लेती है...[]


Wednesday, January 04, 2006

उडान

लम्हों के वीरान ज़मी पर
अश्कों की बारिश आ गई --
लो इस दिल में तुम्हें दोबारा
पाने की ख्वाहिश आ गई ।

सपने की भाँति आखों से
ओझल होकर चले गए
क्षितिज के उस पार तुम कोई
बादल बनकर चले गए

पर चाँद घटा में छुप जाए
तो अमावस नहीं कहलाएगा
प्यार का ये परिंदा तुमको
हर हाल में ढूँढ ही लाएगा ।

पहलू में फिर तेरी तबस्सुम
उठाने रंजिश आ गई --
और इस दिल में तुम्हे दोबारा
पाने की ख्वाहिश आ गई ।

Sunday, December 18, 2005

सुनिये -- कोई गाता मै सो जाता






कोई गाता मै सो जाता

हरिवंश राय बच्चन द्वारा शुद्ध हिंदी मे लिखित इस सुंदर गीत का आस्वादन कीजिए।
इसको १९७७ के आलाप चलचित्र मे संगीत का रूप दिया जयदेव ने, येसुदास के सुरीले स्वर मे।

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कोई गाता मै सो जाता

संस्रिति के विस्त्रित सागर मे
सपनों कि नौका के अंदर
दुख सुख कि लहरों मे उठ गिर
बहता जाता, मै सो जाता ।

आँखों मे भरकर प्यार अमर
आशीश हथेली मे भरकर
कोई मेरा सिर गोदी मे रख
सहलाता, मै सो जाता ।।

मेरे जीवन का खाराजल
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्वर मे मधुमय कर
बरसाता मै सो जाता ।।।

कोई गाता मै सो जाता
मै सो जाता
मै सो जाता
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Link from Navin Kabra's site here

Thursday, December 15, 2005

दुविधा

पनघट नीर भरन मैं जाऊ,
कल शाम की बात को कैसे भुलाऊ,
गाल पे दाग अब छुपा न पाऊ,
राधा से अब बच नही पाऊ।
Any one guessing whats going on here?

Thursday, November 03, 2005

लम्हों के कतरे

लम्हों के कतरे निरंतर बहते
मुट्ठी में समाते, आँखों को भिगोते
जिन्दगी की रेत में ओझल
कभी हलकी, कभी बोझल
लडकपन की नंगी हँसी में
जवानी की रंगीं नदी में
बुढापे की ठंडी आहों में
मौत की अंधेरी राहों में
छलकते, झलकते, फलक से उतरते
चहकते, बहकते, महकते, दहकते
हवाओं में बिखरे, पलकों पे ठहरे
होठों पे चमके, बालों में उलझे
छूकर के गालों को, यूँ सोने वालों को
देते बुलावा - हमें व्यर्थ ना कर
साँसो के घोडों पे होकर सवार
लम्हों के कतरे, निरंतर बहते
चले हैं न जाने किस दूसरे जहाँ में --- !

Saturday, October 08, 2005

Labzon Ka Aasmaan

Maine Kahaa:

sardhii ki mausam aur saveraa chamak utthee hain.
suraj ki ped pe roshni ki phool,
subah ki khushboo se mehek rahee hai,
tumhaare aasmaan ki rukhsaar ko choomkar,
main wahaan kuch labz bhar rahaa hoon,
jo bahut kuch kehlethe hain.
agar tum unhe dekhoge tho.

Zara apne aasmaan ki taraf dekho,
subah na sahii,
kum se kum raat mein,
shaayad kisee raat ke waqt,
wohii tumhaare aasmaan ki rukhsaar par,
jab chaand nikhaar leke khilegee,
tum un labzon ko padh sakogi...
shaayad kisee raat ke waqt,
jab khamoshi andheron ko peelegee,
tum un labzon ko sun sakogi..
aur jab ek pal mein sab kuch tham jaatha hain
tab jaakar mera naam shaayad likhogee,
ek kaagaz pe na sahiii,
kum se kum, kisii nadhee ke rukhsaar par.

Usne kahaa:

Kal raat,Usee nadhee ke kinaare par,
Tumhaare naam ki khat likh-kar,
maine jab chaand ki taraf dekhaa,
tho labzon ki jagah, aasmaan par,
baadal bahut nazar aaye hain.

kahaan khogaye hain, tumhaare woh labz!!

Maine Kahaa:

Zaraa Baarish hone do, Mil-jaayenge!

Sunday, October 02, 2005

ए संगदिल सनम

ए संगदिल सनम, तेरे पथ्थर दिल का वास्ता हमे,
नसीब वाले हो, खुदा ने ऐसा दिल दिया तुम्हे,
कम से कम तुम्हे किसी से मोहोब्बत होगी नही...
अगर बदकिस्मती से हो भी गई,
तो घबराना मत,
तुम्हारा दिल इतना सख्त है कि तब भी वो पिघलेगा नही।

Kedar.