प्यार की लौ
िरशतों के ये भूखे साये साथ न मेरा छोडेंगे ।
जबतक मैं हूँ , जबतक लौ है, साये तो रहेंगे ही !
लेकिन जब मैं खुद जलूँगा बनके प्यार का रौशन सूरज,
तब मैं रहूँगा न लौ रहेगी , और न ये साये रहेंगे
बस, हर तरफ सागर सी िवस्तृत प्यार की एक सी धारा होगी।